तुम अनाम फिर भी कोटिनाम |
प्रियतम तुमको मेरा प्रणाम !!
प्रियतम तुमको मेरा प्रणाम !!
निर्बाध 'काल'की
गति मन्थर-
रोकते उसे भी दे विराम ||
रोकते उसे भी दे विराम ||
कण कण में तुम रमते हो यों-
कहते तुमको लोग राम |
कहते तुमको लोग राम |
कामना-हीन निष्काम हो तुम !
पर तुम हो अनन्त सत्य काम ||
‘
पर तुम हो अनन्त सत्य काम ||
‘
अनिकेत’, किन्तु सर्वत्र व्याप्त |
‘जड़-चेतन’ सबके परम धाम ||
‘जड़-चेतन’ सबके परम धाम ||
जो मिले,
तुम्हारी ‘कृपा-गन्ध’-
हो जाये 'प्रसून' धन्य नाम ||
हो जाये 'प्रसून' धन्य नाम ||
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