ओ प्रियतमा!
ओ प्रियतमा !!
जीवों में तुम हो आत्मा !!
महिमा तुम्हारी माप ले -
ऐसी न
कोंई है विमा || विमा=माप
परमा शिवा भव-सुन्दरी -
परमा शिवा भव-सुन्दरी -
सत्या हो तुम हो उत्तमा||
रक्षक विष्णु की लक्ष्मी –
रक्षक विष्णु की लक्ष्मी –
शिव की शिवानी तुम उमा ||
हो ज्योति सूर्य में तुम्हीं -
हो ज्योति सूर्य में तुम्हीं -
तुम से ही चमका चन्द्रमा ||
नैराश्य रजनी से जननि!
नैराश्य रजनी से जननि!
हर लोअरी!तम मय अमा ||
देवी हो विद्द्या ज्ञान की -
हर कला में तव गुण रमा ||
शिल्पों का कौशल-पुंज तो -
शिल्पों का कौशल-पुंज तो -
हाथों तुम्हारे ही थमा ||
जननी हो भाव शरीर की
नित्या हो अजरा अजन्मा ||
पाई है गन्ध
"प्रसून" ने –
चरणों में तेरे जब नमा ||
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