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Thursday, 10 July 2014

गज़ल-कुञ्ज (1) प्रणाम(घ) राष्ट्र-भूमि –प्रणाम (हे प्रिय जननी भारती धरा)

(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार) 
हे प्रिय जननी भारती धरा !

तेरा तन मन है हरा भरा ||


वन, बाग, तडाग, नदी,सर में-

हर ओर ‘रूप’ तेरा बिखरा ||



तैयार है तेरी रक्षा को-

उत्तर में हिम गिरि, दे पहरा||



तन धोता, दे कर मानसून-

है तीन ओर सागर गहरा ||




आया है तेरे आँगन जो -

उसका बिगरा जीवन सँवरा ||


तूने ‘सब’ को ‘अपनाया है’-

‘सर’ पर धर,कर’ माँ प्यार भरा ||


हर  रंग के "प्रसून" गोदी में -

ले कर करती प्रसन्न दुलरा ||

 





2 comments:

  1. जननी जन्मभूमि …… स्वर्गदि …… खूबसूरत भारत भूमि वंदना मीटरी कौशल में आप एक अच्छे Prosodist हैं।

    छांदस छंदों के खिलाड़ी हैं।

    A prosodist is an expert in the laws of meters ,in the theory and practice of versification ,the study of speech rhythm .

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