(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
हे प्रिय जननी भारती धरा !
तेरा तन मन है हरा भरा ||
वन, बाग, तडाग, नदी,सर
में-
हर ओर ‘रूप’ तेरा बिखरा ||
तैयार है तेरी रक्षा को-
उत्तर में हिम गिरि, दे पहरा||
तन धोता, दे
कर मानसून-
है तीन ओर सागर गहरा ||
आया है तेरे आँगन जो -
उसका बिगरा जीवन सँवरा ||
तूने ‘सब’ को ‘अपनाया है’-
‘सर’ पर धर, ’कर’
माँ प्यार भरा ||
हर रंग के
"प्रसून" गोदी में -
ले कर करती प्रसन्न दुलरा ||
उम्दा गज़ल
ReplyDeleteजननी जन्मभूमि …… स्वर्गदि …… खूबसूरत भारत भूमि वंदना मीटरी कौशल में आप एक अच्छे Prosodist हैं।
ReplyDeleteछांदस छंदों के खिलाड़ी हैं।
A prosodist is an expert in the laws of meters ,in the theory and practice of versification ,the study of speech rhythm .