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Thursday, 17 July 2014

गज़ल-कुञ्ज (3) कंटाल (क) पैना शूल चुभोया

(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार) 

 किसने करुणा-सदय-हृदय में पैना शूल चुभोया ?


किसने फूलों के मधुवन में कंटालों को बोया ??


स्वतन्त्रताके इन वर्षों में कितने तूफां आये !


सोचो पल भर और विचारो,क्या पाया क्या खोया ??


 संस्कृति और सभ्यता वाली यह भारत की नौका -


की पतवारें तोड़ तोड़  कर किसने   इसे डुबोया ?

 हँसती हुई किलकती गाती जनता के सीने को-


बोलो किसने आज आँसुओं से है अरे भिगोया ??

 

कितनी मैल भरी है मन में,यह तो हमें बताओ !


मैला किया 'प्रेम' जो पुरखों ने 'आस्था' से धोया ||


अतीत की यादों में अपना देश विचारा प्यारा -


फूट फूट कर, सिसक-सिसक कर "प्रसून"  कितना  रोया !!

 

 

 

 

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