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Wednesday, 3 September 2014
(6) बाज (ख) आतंक (एक अप्रकट निहित सत्य)
जनता
के भोले लोग ‘अबाबील’ हुए हैं ||
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ग़ज़ल
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बेहद सशक्त अशआर अपने वक्त से संवाद करते सवाल उछालते। शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का बेहद का सशक्त लेखन।
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