(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
हो
गये ‘विशवास’ कितने आज बदतर देखये !
यत्न
होते रहे पर, हालत न बेहतर देखये !!
छा
गया कितना निराशा का है ‘कोहरा’ हर तरफ-
हो
गया उम्मीद का ‘कन्दील’ जर्जर देखये !!
दूर
तक फैली हुई, लगतीं कँटीली ‘झाडियाँ’-
बह
रहा है उन सभी के बीच ‘निर्झर’ देखये !!
‘प्रश्न’
मेरी ‘प्यास’ का सुन, हँस के यों बोले ‘सनम’-
सामने
लहरा रहा है, वह ‘समुन्दर’ देखये !!
गा
रही है करुण स्वर में, ‘गीत’ ‘मैना’ दर्द के-
पर
बड़ा मज़बूत लोहे का है ‘पिंजर’ देखये !!
लगता
है जायेंगे कुचले, ये सजीली से “प्रसून”-
‘कुंज’
में घुस आये कुछ, ‘पागल’ से ‘कुंजर’ देखये !!
गा रही है करुण स्वर में, ‘गीत’ ‘मैना’ दर्द के-
ReplyDeleteपर बड़ा मज़बूत लोहे का है ‘पिंजर’ देखये !!
बेमिसाल अशआर वाह !