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Tuesday, 9 September 2014

(7) बंजर दिल (ग) खारी ‘समुन्दर’ !

(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)

 

हो गये ‘विशवास’ कितने आज बदतर देखये !

यत्न होते रहे पर, हालत न बेहतर देखये !!


छा गया कितना निराशा का है ‘कोहरा’ हर तरफ-

हो गया उम्मीद का ‘कन्दील’ जर्जर देखये !!


दूर तक फैली हुई, लगतीं कँटीली ‘झाडियाँ’-

बह रहा है उन सभी के बीच ‘निर्झर’ देखये !!


 ‘प्रश्न’ मेरी ‘प्यास’ का सुन, हँस के यों बोले ‘सनम’-

सामने लहरा रहा है, वह ‘समुन्दर’ देखये !!


गा रही है करुण स्वर में, ‘गीत’ ‘मैना’ दर्द के-

पर बड़ा मज़बूत लोहे का है ‘पिंजर’ देखये !!


लगता है जायेंगे कुचले, ये सजीली से “प्रसून”-

‘कुंज’ में घुस आये कुछ, ‘पागल’ से ‘कुंजर’ देखये !!





1 comment:

  1. गा रही है करुण स्वर में, ‘गीत’ ‘मैना’ दर्द के-

    पर बड़ा मज़बूत लोहे का है ‘पिंजर’ देखये !!

    बेमिसाल अशआर वाह !

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