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Sunday, 1 July 2012

गज़ल कुञ्ज (गज़ल संग्रह)-(स)कंटाल)-(१) पैना शूल चुभोया

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किसने करुणा-सदय-हृदय में पैना शूल चुभोया |

किसने फूलों के मधुवन में कंटालों को बोया ||

    


स्वतन्त्रताके इन वर्षों में कितने तूफां आये !

सोचो पल भर और विचारो,क्या पाया क्या खोया !!

   

संस्कृति और सभ्यता वाली यह भारत की नौका -

की पतवारें तोड़ तोड़  कर कि सने   इसे डुबोया ?

  


हँसती हुई किलकती गाती जनता के सीने को-

बोलो किसने आज आँसुओं से है अरे भिगोया ?? 

    
    

कितनी मैल भरी है मन में,यह तो हमें बताओ !

मैला किया 'प्रेम' जो पुरखों ने 'आस्था' से धोया || 

   
    

अतीत की यादों में अपना देश विचारा प्यारा -

फूट फूट कर,सिसक सिसक कर "प्रसून"कितना रोया !!

    



   

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