फाख्तों के,तितलियों के पर कटे घायल हुईं |
कण्टकों की डालियाँ कुछ इस तरह पागल हुईं ||
बाग में तारों सी खिलीं, सुमन, कलियाँ सुस्त हैं -
अनमनी उदास, दुखिता दया के क़ाबिल हुईं ||
तेज झोंकों से भरी कुछ हवायें बदमस्त सी-
झूमती हैं, डगमगातीं ,और भी चन्चल हुईं ||
हर झरोखे से उठी है, चीख क्रन्दन से भरी-
लहू के प्यासे मनों में इस तरह खलबल हुई ||
मछलियों को भय हुआ, वे तड़फड़ाने सी लगीं-
शान्त,सुन्दर झील के तल में विषम हलचल हुई ||
स्नेह के सम्बन्ध वाली रसिक प्रेमी टोलियाँ -
'काम'के तूफ़ान,हिंसा- 'कहर के बादल' हुईं ||
अंधेरों ने उजालों पर कर लिया अधिकार यों -
"प्रसून"मेरी चाहतें, मायूस यों हर पल हुईं ||
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