रहे गुलाब दुखी हो बोल |
"ऐ झरबेरी धीरे डोल ||
"तू तो अपनी मौज में है-
घायल मेरे अधर कपोल ||
"चुभते तेरे शूल मुझे -
मत कर इतना निठुर किलोल ||
"तू खुशियों में झूम रही-
मेरी खुशियाँ डाबाडोल ||
"काँटों का दोनों का तन -
तेरा मेरा एक न मोल!!
"तू घायल कर देता है-
लेता जिसका बदन टटोल ||
"गुठली पर जब दाँत लगे-
खुल जाती है तेरी पोल!!
कोमल है इतिहास मेरा -
तेरा काँटों का भूगोल ||
"जो मेरे "प्रसून" को छू ले -
देता मैं मन में रस घोल ||"
No comments:
Post a Comment