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Thursday, 5 July 2012

गज़ल कुञ्ज (गज़ल सग्रह)-(द)झरबेरी और गुलाब -(३)खरगोशों में ऊदबिलाव

    

खरगोर्शों में ऊदबिलाव |

झरबेरी के पास गुलाब || 
 
गले मिले जब बन कर यार 
हुए कँटीले मीठे ख़्वाब ||
 
बेदर्दी की हद हो पार -
कोमलता पर निठुर दबाव ||
 
भोले खंजन पर कर वार-
चोंच से घायल करे उकाब ||t
 
हो कैसे दोनों में प्यार !
इक शरबत,दूजा तेजाब ||
 
 
अब पछताना है बेकार |
किया दोस्त का गलत चुनाव ||
  



"प्रसून"सहते हैं हर बार |
पंखुड़ियों पर लगते घाव ||
     

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