खरगोर्शों में ऊदबिलाव |
झरबेरी के पास गुलाब ||
गले मिले जब बन कर यार
हुए कँटीले मीठे ख़्वाब ||
बेदर्दी की हद हो पार -
कोमलता पर निठुर दबाव ||
भोले खंजन पर कर वार-
चोंच से घायल करे उकाब ||t
हो कैसे दोनों में प्यार !
इक शरबत,दूजा तेजाब ||
अब पछताना है बेकार |
किया दोस्त का गलत चुनाव ||
"प्रसून"सहते हैं हर बार |
पंखुड़ियों पर लगते घाव ||
पंखुड़ियों पर लगते घाव ||
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