मधुवनों में शान्ति का होता विभंजन् देखिये |
बाजों से कितने डरे हैं, भोले खंजन देखिये ||
हिरण भागे,शशक दुबके और अब तो थम गये -
तितलियों की थिरकनें,भ्रमरों के गुंजन देखिये ||
न्याय तोले किस तरह, इंसाफ की दूकान में -
डगमगाया है 'तराजू' का समंजन देखिये ||
दर्द पाकर रो रही है,तर हुए दोनों नयन -
सभ्यता की सुन्दरी का बहा अंजन देखिये ||
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आग जंगल में लगी है, आँधियों के ज़ोर से -
रगड़ खा के, हवाओं से जला चन्दन देखिये ||
कहाँ जाएँ गुनगुनाने, गीत गाने ऐ "प्रसून"
बाग में हर ओर चिड़ियों का है क्रंदन देखिये ||
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