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Saturday, 14 July 2012

गज़ल-कुञ्ज(गज़ल संग्रह)-(र) बाज)-(१) शान्ति का विभंजन







मधुवनों में शान्ति का होता विभंजन् देखिये |                                                  
बाजों से कितने डरे हैं, भोले खंजन देखिये ||
  
हिरण भागे,शशक दुबके और अब तो थम गये - 
तितलियों की थिरकनें,भ्रमरों के गुंजन देखिये || 
 
न्याय तोले किस तरह, इंसाफ की दूकान में -
डगमगाया है 'तराजू' का समंजन देखिये ||


 
दर्द पाकर रो रही है,तर हुए दोनों नयन -
सभ्यता की सुन्दरी का बहा अंजन देखिये ||

  -
आग जंगल में लगी है, आँधियों के ज़ोर से -
रगड़ खा के, हवाओं से जला चन्दन देखिये || 
 
कहाँ जाएँ गुनगुनाने, गीत गाने ऐ "प्रसून"
बाग में हर ओर चिड़ियों का है क्रंदन देखिये ||
 

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