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Wednesday, 22 October 2014

नर्काचौदस-पर्व मनायें !

सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार) 
नर्काचौदस-पर्व मनायें, अघ-आलस को मार !
हरें धरा से समूल नाशें, ओघ-पाप का भार !!
आचरणों की मैल निखारें, करें इन्हें हम साफ़ !
सदाचार के रस से धोयें, सारे भ्रष्टाचार !!
हर कर हर अज्ञान-अँधेरा, विद्या-दीपक वार-
बुद्धि-हीनता दूर भगायें, करके ज्ञान-प्रसार !!
इंसानों के बीच में कोई, रहे न दानव आज !
निर्बल को मत कोई सताये, ऐसा करें प्रचार !!
दुराचार के नर्कासुर का, हो मत कहीं प्रवेश !
तभी स्वर्ग बन क्र उभरेगा, यह सारा संसार !!
“प्रसून” सारे बाग़ के खिल कर, नित्य लुटायें हास |
जीवन की बगिया में पनपे अब न कहीं पतझार !!

        




     

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