(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
छोटा सा
ही, विष से बुझा तीर होता है !!
‘इरादा’
जिसका ‘पत्थर’ की ‘लकीर’ होता है !!
‘शाहों’
का भी ‘शाह’ इक ‘फ़कीर’ होता है !!
पतगीर=छेनी,
बेनज़ीर=अतुलनीय’ फ़ील=हाथी, कुव्वत=ताक़त
जिसकी
आँखों ‘मानवता’ का ‘नीर’ होता है !
वह‘ मुफ़लिस’ भी, ‘दिल’ का तो ‘अमीर’ होता है !!
बड़े-बड़े
‘फ़ौलादी’ जिस्मों को काट देता जो-
लोहे का
छोटा टुकड़ा ‘पतगीर’ होता है !!
‘शेर’,
ज़ेर ‘फ़ील’ से है, यह तो माना है लेकिन-
वही
तमाम ‘जंगल’ में असीर होता है !!
‘कोयले’ की ‘खान’ में भी, ‘काला’ नहीं होता जो-
इसी लिये तो ‘हीरा’ बेनज़ीर होता है !!
बहुत बड़े ‘हाथी’ को भी, सहज ही जो मार दे-
छोटा सा
ही, विष से बुझा तीर होता है !!
‘टस से मस’ करेगा क्या, ’तूफ़ान’ उसे कभी भी ?
‘इरादा’
जिसका ‘पत्थर’ की ‘लकीर’ होता है !!
“प्रसून” इसकी ‘कुव्वत’ को, देखो तो जान जाओगे-
‘शाहों’
का भी ‘शाह’ इक ‘फ़कीर’ होता है !!
पतगीर=छेनी,
बेनज़ीर=अतुलनीय’ फ़ील=हाथी, कुव्वत=ताक़त
ज़ेर=छोटा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30/10/2014 को चर्चा मंच पर चर्चा -1782 में दिया गया है
ReplyDeleteआभार
Waah ji lajawab ek ek sher me dum hai... Kasam se zabardast !!
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