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Tuesday, 7 October 2014

(9) ‘धर्म-गिद्ध’ !

(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)

                                             

हिंसक कुछ ‘धर्मों के गिद्ध’ नज़र आते हैं !


दुखी यों ‘गान्धी’, ’नानक’ ‘बुद्ध’ नज़र आते हैं !!


 ‘हिंसा’ का ‘धनुष’ लिये, ‘देवदत्त’ निकले हैं-


‘स्नेह-हंस’, वानों से बिद्ध नज़र आते हैं !!


 ‘बगुले’ हैं ‘भगत’ कई, ‘हंसों’ के ‘स्वाँग’ भरे-


‘जाहिल’ कुछ ऊपर से, ‘प्रबुद्ध’ नज़र आते हैं !!


                          

 माइक पर चिल्लाते, ‘बधिर’ समझ ‘ईश्वर’ को !


‘मज़हब’ के सुलग रहे ‘युद्ध’ नज़र आते हैं !!


 ‘परिधान’ कुछ ‘रंगीले’, ‘साधक’ जों पहने हैं-


‘पर्दे’ में ‘वासना’ के ‘गिद्ध’ नज़र आते हैं !!


 ‘शैतानी साधना’, “प्रसून” इन ‘महन्तों’ की-


कितने अखबारों में ‘प्रसिद्ध’ नज़र आते हैं !!


 

 

 

 

3 comments:

  1. ‘बगुले’ हैं ‘भगत’ कई, ‘हंसों’ के ‘स्वाँग’ भरे-
    ‘जाहिल’ कुछ ऊपर से, ‘प्रबुद्ध’ नज़र आते हैं !!
    ..बहुत खूब !

    ReplyDelete
  2. माइक पर चिल्लाते, ‘बधिर’ समझ ‘ईश्वर’ को !
    ‘मज़हब’ के सुलग रहे ‘युद्ध’ नज़र आते हैं !!

    वाह बेहद लाजवाब रचना :)



    कृपया मेरे ब्लॉग तक भी आयें, अच्छा लगे तो ज्वाइन भी कीजिये सब थे उसकी मौत पर (ग़जल 2)

    ReplyDelete

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