Powered by Blogger.

Followers

Thursday 21 June 2012

गज़lल कुञ्ज (गज़ल-संग्रह)-(अ)प्रणाम (४)राष्ट्र-भूमि -प्रणाम) -हे प्रिय जननी भारती धरा


हे प्रिय जननी भारती धरा |
तेरा तन मन है हरा भरा ||
   
वन, बाग, तडाग, नदी,सर में-
हर ओर रूप तेरा बिखरा ||
   
    

     
तैयार तुम्हारी रक्षा को-
उत्तर में हिम गिरि दे पहरा ||

तन  धोता, दे कर मानसून -
है तीन ओर सागर गहरा ||

आ  गया तुम्हारे आँगन जो -
उसका बिगरा जीवन सँवरा ||
    
तुमने सब को अपनाया है -
सर पर धर,कर माँ प्यार भरा ||
     
हर  रंग के "प्रसून" गोदी में -
ले कर करती प्रसन्न दुलरा ||
  

    

No comments:

Post a Comment

About This Blog

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP