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Wednesday, 20 June 2012

गज़ल-कुञ्ज (गज़ल-संग्रह) (अ)प्रियतम प्रणाम(आराधना गज़ल) (१) प्रियतम प्रणाम -(ख) प्रियतम तुमको मेरा प्रणाम

  
 (१)प्रियतम प्रणाम (क्रमश:)--
 


(ख)प्रियतम तुमको मेरा प्रणाम !


!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!



तुम अनाम फिर भी कोटिनाम |



प्रियतम तुमको मेरा प्रणाम !!




निर्बाध 'काल'की गति मन्थर-


रोकते उसे भी दे विराम ||


 

कण कण में तुम रमते हो यों-


कहते  हैं  तुमको लोग राम ||





कामना-हीन निष्काम हो तुम !


पर तुम हो अनन्त सत्य काम |


 


अनिकेत,किन्तु सर्वत्र व्याप्त |


जड़- चेतन सबके परम धाम || 





जो मिले, तुम्हारी कृपा -गन्ध-


हो जाये 'प्रसून' धन्य नाम ||


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