Powered by Blogger.

Followers

Wednesday, 20 June 2012

गज़ल-कुञ्ज (क्रमश:)-(अ) प्रणाम - (१)प्रियतम प्रणाम (ग़) (तुम जाने पहंचाने प्रियतम)

  
तुम जाने पहंचानेप्रियतम !


पर लगते अनजाने प्रियतम !!

यह सारा जग भटक रहा है -


प्यार तुम्हारा पाने प्रियतम ||
    
    
कोकिल भ्रमरों ने पाये मृदु -


स्वर हैं तुम्हें रिझाने प्रियतम ||  
 
सह ली विरह -वेदना,फिर भी -


गाये मधुर तराने प्रियतम ||
    
     
तुम्हें याद कर बिता दिए हैं -


कुछ पल आने जाने प्रियतम ||
  
जग के सारे रिश्ते नाते -


पड़ते हमें निभाने प्रियतम ||


तुम्हें लुभाते प्यार लुटा कर -


"प्रसून"हँसे सुहाने प्रियतम ||

No comments:

Post a Comment

About This Blog

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP