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Sunday, 31 August 2014
(5) उकाव-कबूतर (क) देखिये (प्रतीकों में नगन सत्य) !
(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
‘उकाबों’ की सेहतें, पहले से बेहतर
देखिये !
चोट खा कर गिर पड़े कितने कबूतर देखिये !!
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ग़ज़ल
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