(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
रहे
गुलाब दुखी हो बोल !
"ऐ झरबेरी धीरे डोल !!
"तू
तो अपनी मौज में है-
घायल
मेरे अधर कपोल !!
"चुभते
तेरे शूल मुझे -
मत कर इतना निठुर किलोल !!
"तू
खुशियों में झूम रही-
मेरी खुशियाँ डाबाडोल !!
"काँटों का दोनों का तन -
तेरा मेरा एक न मोल !!
"तू घायल कर देता है-
लेता जिसका बदन टटोल !!
"गुठली पर जब दाँत लगे-
खुल
जाती है तेरी पोल !!
कोमल
है इतिहास मेरा –
तेरा
काँटों का भूगोल !!
"जो
मेरे "प्रसून" को छू ले –
देता
मैं मन में रस घोल !!"
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDelete